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आज ४-फरवरी को चौरा चौरी काण्ड की बरसी है . चौरी चौरा उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा है जहाँ 4 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने बिट्रिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी , जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है।

भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) को रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल ओ. डायर नामक एक अँगरेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें १००० से अधिक व्यक्ति मरे और २००० से अधिक घायल हुए। इस नरसंहार के बाद सारे देश में अंग्रेजो के खिलाफ नफरत की भावना पैदा हो गयी थी .

इस घटना के बाद देश में अंग्रेजों के खिलाफ जन आक्रोश को देखते हुए , गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन शुरू किया था . गोरखपुर में आन्दोलन करने वालों पर पुलिस ने अँधा-धुंध गोली चला दी थी . जिसमे काफी लोग मारे गए थे, इस पर बहा के लोगों ने मिलकर पुलिस पर हमला बोल दिया और और अंग्रेज पुलिस वालों बहुत पीटा. कुछ तो इधर उधर भाग गए बाकी अंग्रेज पुलिस बाले , चौरा चौरा थाने में चुप कर जनता पर गोलियां चलाने लगे . इस पर आन्दोलन कारियों ने थाने में आग लगा दी जिसमे २२ पुलिस बाले मारे गए .

जालिम अंग्रेजों की हिम्मत जलियाँ बाले बाग़ काण्ड के बाद बहुत बढ़ चुकी थी, लेकिन इस घटना के बाद उनको भी हिन्दुस्तानियों से भय लगने लगा था . इस इस घटना के बाद अंग्रेजों को लगने लगा कि अब जनता पर जुल्म करना तो दूर अपनी जान बचाना भी मुस्किल है. इस लिए इस काण्ड के बाद १७७ लोगों को फांसी की सजा सुनायी गयी थी , मगर महामना मदन मोहन माल्वीय जी के प्रयास से 15८ लोगों की जान बच सकी थी . १९ लोगो को २-जुलाई १९२३ को फांसी पर लटका कर शहीद कर दिया गया था .

इसके अलावा अंग्रेजों ने मुसलमानों के लिए एक अलग मुस्लिम देश बनाने का लालच देकर, मुसलामानों को असहयोग आन्दोलन से अलग किया और फिर गांधी पर दबाब डालकर आन्दोलन बापस लेने पर मजबूर किया . गांधी ने कहा कि - हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन उपयुक्त नहीं रह गया है और उसे वापस ले लिया था . उसके बाद भारतीय क्रांतिकारियों का दमन करना शुरू कर दिया था .

२- जुलाई १९२३ को चौरी चौरा कांड के क्रांतिवीरो को, देश के विभिन्न जेलों में फासी पर लटका दिया गया . जिन १९ क्रांतिकारियों को फासी हुई थी उन शहीदों के नाम इस प्रकार हैं .--

१- अब्दुल्ला उर्फ़ सुकई
२-भगवान
३-विकरम
४-दुधई
५-कालीचरण
६-लाल्मुहमद
७-लौटू
८-महादेव
९-लालबिहारी
१०-नज़र अली
११-सीताराम
१२-श्यामसुंदर
१३-संपत रामपुरवाले
१४-सहदेव
१५- संपत चौरावाले
१६-रुदल
१७-रामरूप
१८-रघुबीर
१९- रामलगन

इन अमर शहीदों को मेरा कोटि कोटि नमन, भारत माता कि जय, वन्दे मातरम , जय हिंद .....

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