कई दिनों बाद किसी का फोन आया।
मै बना रहा था सब्जी, उसे छोड़कर उठाया।।मैंने कहा सॉरी हियर इज मुकेश!
मुझे सब पता है तुम नरेश ही बोल रहे हो।।
मै कैसे तुम्हे समझाऊँ। मुकेश हूँ नरेश को कहाँ से लाऊं।।
उसने बड़े जोर से, रिसीवर को पटका।।
मै बाथरूम से भागा, दीवार से टकराया।
फिर भी गिरते पड़ते, फोन उठाया।।
मै खीझकर चिल्लाया! नहीं उसका बाप मुकेश।।
खुश रह आज तो मै, बच गया मरते मरते।।
मैंने जवाब दिया-
मैंने आह भरी! इतनी जल्दी मरेगा,
मै रोया! मेरा बेटा मरा है, कम से कम झूठी तसल्ली तो दे दो।।
उसको मेरी बातों में दिखी सच्चाई।
तब उसने अपनी गाथा सुनाई।।
अंकल मुझे आपका दर्द पता है।
पर इसमें मेरी क्या खता है।।
आपको क्या पता उसने मेरे साथ क्या किया था।
इंडिया गेट पर ही मेरा चुम्मा ले लिया था।।
इसके अलावा भी उसने मुझको ठगा था।
लालकिले पे मेरा पर्स ले भगा था।।
उसकी इस हरकत पर मेरे डैडी ने डांटा।
तो उसने मेरे बाप को भी जड़ दिया चांटा।।
अच्छा हुआ मर गया आपका कपूत।।
स्वर्ग तो जायेगा नहीं नरक तक खदेड़ूगी।।
मैंने उसको समझाया।
पैर भी दबाऊंगा अगर तुम कहोगी।।
भगवान से नहीं, मुझसे तो डर।।
कलयुग में पूतना का दूसरा अवतार हूँ।।
तूने कैसे सोचा मै तुझसे रिश्ता जोडूंगी।।
अरे तू! इस धरती पर अभिशाप है।
नरेश तो ठग ही था, तू तो उसका भी बाप है।।
सिंहासन
उधर से एक पतली सी आवाज आयी हैलो नरेश!
उसने कहा! क्यों बेवकूफ बना रहे हो।
मै थोडा गुस्से में बोला! तुम हो कैसी बला।।
उसको मेरी बातों से, हुआ कुछ खटका।
तब मुझको किचन से, कुछ बदबू सी आयी।
राँग नम्बर के चक्कर में, मैंने सब्जी जलवायी।।
दूसरे दिन फिर, उसका फोन आया।
सिर के बल गिरा, नाक से खून आया।।
फिर वही आवाज, आयी हैलो नरेश।
उसने कहा अंकल नमस्ते! मैंने भी आशीष दिया-
वो थोड़ा शरमाई, फिर गिड़गिड़ायी-
अंकल नरेश से बात करा दो, मै पूनम बोल रही हूँ।
नरेश तो सुबह ही मर गया, अभी दफना कर आ रहा हूँ।।
उसको हुआ कुछ शक। उसने कहा बक॥
अभी कल ही तो दिखा था।
क्या मुझको ये पता था।।
आवाज आयी अच्छा अतुल का नम्बर बता दो।
वो था ही इतना कमीना।
बेकार था उसका जीना।।
और क्या बताऊँ मै उसकी करतूत।
लेकिन मै उसे अब भी नहीं छोडूंगी।
दो चार अवधी बातों का जाम पिलाया।।
और कहा! छोडो भी ये गुस्सा।
खत्म हुआ नरेश का किस्सा।।
मै उससे हूँ शर्मिंदा।
शायद तुम्हारे लिए हूँ जिन्दा।।
मुझसे शादी करोगी? सच कह रहा हूँ
वो गुर्रायी! चुप बुड्ढे, कुछ तो शरम कर।
तुझे क्या पता मै कितनी खूंखार हूँ।
मै तो अभी तेरे बेटे को ही नहीं छोडूंगी।
उस दिन ही मैंने, वो फोन कटा दिया।
पर उसने बिन ब्याहा, बाप मुझे बना दिया॥
कुं विजेंद्र शेखावत
18 November 2012 at 02:12
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