माँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई

प्रेम मे नहला गई जब जम के तेरी डांट खाईमाँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई
तेरी छाया मे पला सपने बहुत देखा किएसमृद्धि सुख की दौड़ मे दुख भरे दिन जी लिएमहल रेती के संजोए शांति मै खोता रहानींद मेरी छिन गई बस रात भर रोता रहा
चैन पाया याद करके लोरी जो तूने सुनाईमाँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई
लाभ हानि का गणित ले ज़िंदगी की राह मेंजुट गया मित्रों से मिल प्रतियोगिता की दाह मेंभटका बहुत चकाचौंध में खोखला जीवन जियाअर्थ ही जीने का अर्थ, अनर्थ में डुबो दिया
हर भूल पर ममता भरी तेरी हँसी सुकून लाईमाँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई।