21
Feb
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ना रजवाड़ा म जन्म लियो,
न ही गढ़ रो राज।
दरबारां री धोख मारां
जद मिळ है दो मण नाज।।
राज करणिया राज करयो,
म्हे तो चौकीदार।
रण लड़ता र शीश चढ़ाता,
साथण ही तरवार।।
साथण ही तरवार,
राजा री शान बचावण न।
ब जनम्या कूबद कमावण न
म्हे जनम्या रण में खून बहावण न।।
म्हे जनम्या रण म खून बहावण न
ब जनम्या राज रो काज चलावण न।
म्हे जनम्या हुकुम निभावण न
ब जनम्या हुकुम सुणावण न।।
ब जनम्या सोना रा थाळ म खावण न
म्हे जनम्या सुखा टूक चबावण न।
ब जनम्या फूला री सेज सजावण न
म्हे जनम्या रातां री नींद जगावण न।।
ब जनम्या मद र रास रचावण न
म्हे जनम्या रजवाड़ी लाज बचावण न।
ब जनम्या खुद रो नाम कारावण न
म्हे जनम्या कौम रो मान कमावण न।।
जन्मभोम र मान र खातर
खुद रो खून बहायो है।
बाँ न अमर राखबा खातर
मन्न थे बिसरायो है।।
मेरो खून रो मोल छिपायो
रजवाड़ा न अमर बणायो है।
भुल्या सूं भी याद करो ना
फण बांका थान चिणायो है।।
टूटयोड़ो सो मेरो झुपड़ो
थां सूं अर्ज लगाई है।
रजवाड़ा म धोख मराणियो
मैं काईं करी खोटी कमाई है।।
~~लेखनी~~
कुं नरपत सिंह पिपराली
न ही गढ़ रो राज।
दरबारां री धोख मारां
जद मिळ है दो मण नाज।।
राज करणिया राज करयो,
म्हे तो चौकीदार।
रण लड़ता र शीश चढ़ाता,
साथण ही तरवार।।
साथण ही तरवार,
राजा री शान बचावण न।
ब जनम्या कूबद कमावण न
म्हे जनम्या रण में खून बहावण न।।
म्हे जनम्या रण म खून बहावण न
ब जनम्या राज रो काज चलावण न।
म्हे जनम्या हुकुम निभावण न
ब जनम्या हुकुम सुणावण न।।
ब जनम्या सोना रा थाळ म खावण न
म्हे जनम्या सुखा टूक चबावण न।
ब जनम्या फूला री सेज सजावण न
म्हे जनम्या रातां री नींद जगावण न।।
ब जनम्या मद र रास रचावण न
म्हे जनम्या रजवाड़ी लाज बचावण न।
ब जनम्या खुद रो नाम कारावण न
म्हे जनम्या कौम रो मान कमावण न।।
जन्मभोम र मान र खातर
खुद रो खून बहायो है।
बाँ न अमर राखबा खातर
मन्न थे बिसरायो है।।
मेरो खून रो मोल छिपायो
रजवाड़ा न अमर बणायो है।
भुल्या सूं भी याद करो ना
फण बांका थान चिणायो है।।
टूटयोड़ो सो मेरो झुपड़ो
थां सूं अर्ज लगाई है।
रजवाड़ा म धोख मराणियो
मैं काईं करी खोटी कमाई है।।
~~लेखनी~~
कुं नरपत सिंह पिपराली