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बेटियां आँगन की महक होती हैं

बेटियां चौंतरे की चहक होती हैं


बेटियां सलीका होती हैं

बेटियां शऊर होती हैं


बेटियों की नज़र उतारनी चाहिए

क्योंकि बेटियां नज़र का नूर होती हैं

इसीलिए

बेटी जब दूर होती हैं बाप से

तो मन भर जाता संताप से


डोली जब उठती है बेटी की

तो पत्थरदिलों के दिल भी टूट जाते हैं


जो कभी नहीं रोता

उसके भी आँसू छूट जाते हैं


बेटियां ख़ुशबू से भरपूर होती हैं
उड़ जाती हैं तब भी सुगन्ध नहीं जाती

क्योंकि बेटियां कपूर होती हैं


बेटी घर की लाज है

बेटी से घर है समाज है

बेटी दो दो आँगन बुहारती है

बेटियां दो दो घर संवारती हैं


बेटी माँ बाप की साँसों का सतत स्पन्दन है

बेटी सेवा की रोली और मर्यादा का चन्दन है

बेटी माँ का दिल है, बाप के दिल की धड़कन है



बेटी लाडली होती है सब की

बेटियां सौगात होती है रब की


बेटे ब्याह होने तक बेटे रहते हैं

लेकिन बेटी आजीवन बेटी रहती हैं


बेटियों की गरिमा पहचानता हूँ

बेटियों का समर्पण मैं जानता हूँ

इसलिए बेटी को मैं पराया नहीं

अपितु अपना मूलधन मानता हूँ

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