twitter


माता कब की ''ममी'' बना दी, पिता को बना डाला ''डेड''
छोड़ छाड़ के सादी रोटी, खुश रहते सब खाकर ''ब्रेड''
भाई बन गए कब के ''ब्रो'', बहन हो चुकी है अब ''सिस''
संस्कारों की तो पूछो ही मत, जाने कहाँ हो रहे ''मिस''
ताई, चाची, बुआ, मामी, सभी बन गई ''आंटी''
ताऊ, चाचा, फूफा, मामा, के गले में पड़ी ''अंकल'' की घंटी.
यार दोस्त भी अब तो बन बैठे हैं सारे ''ड्यूड''
माँ-बाप अगर टोकें, बालक बोलें होकर ''रयुड''
बच्चों को अब नहीं पसंद पुराना ''पैजामा''
वाट्ज-अप बोलें भूल गए ''रामा-रामा''.
अंग्रेज तो चले गए यहाँ से कब के, छोड़ गए अपनी संस्कृति की ''डब्बी''
बस अब और सहा नहीं जाता, अच्छे भले पति को जब बोलें ''हब्बी''...

0 comments:

Post a Comment