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सीतामढ़ी कोर्ट में भगवान श्रीराम और उनके भाई लक्ष्‍मण पर मामला दर्ज करने की अर्जी दाखिल की गई है. इस मामले में सीतामढ़ी सीजेएम रामबिहारी में सोमवार दोपहर को सुनवाई होनी है.
सीतामढ़ी के एक वकील ठाकुर चंदन सिंह ने शनिवार को व्यवहार न्यायालय में भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण को अभियुक्त बनाते हुए मामला दर्ज करने की अर्जी दाखिल है, जिसमें भगवान राम पर माता सीता को एक धोबी के कहने पर परित्याग करने की बात का जिक्र है.
चंदन सिंह ठाकुर ने न्यूज़18/ ईटीवी से बात करते हुए कहा कि मैंनेे अर्जी इसलिए दायर की है ताकि पूरी महिला जाति को न्याय मिले. गलत को गलत कहना मेरी शुरू से आदत हैै. भगवान श्रीराम गलत थे. वो कैसे एक गभर्वती महिला को जंगल में छोड़ सकते थे. मुझे उम्मीद है कि कोर्ट से मुझे न्याय मिलेगा.
उन्होंने कहा कि सीता मां की क्या गलती थी. क्या उनकी गलती थी कि रावण उनका अपहरण करके ले गया. भगवान श्रीराम को पत्नी को छोडने के बजाय राजगद्दी छोड़ देना चाहिए था.
क्‍या भगवान श्रीराम और लक्ष्‍मण अदालत में होंगे हाजिर?
सस्ती लोकप्रियता हासिल करनेे के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है.  यह लोगों के विवेक पर निर्भर करता है. मैं उनकी समझ को नहीं बदल सकता हूं. अगर भगवान ने गलती की है तो गलत कहने में बुराई क्या है ?
परिवादी के आवेदन पर सुनवाई  के बाद यह निर्णय लिया जाएगा कि मामला कोर्ट ने स्वीकार कर लिया या फिर रिजेक्ट.
हालांकि, कानून के जानकारों का मानाना है कि इस मामले मे ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिसपर कोर्ट अपनी सहमति दे.
कोर्ट में परिवाद दायर करने वाले अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने मिथिला की बेटी का न सिर्फ अपमान किया बल्कि बिना तथ्यों की जांच किये बगैर माता सीता पर लगाये गये आरोप पर विश्वास करते हुये उन्हे सजा दे दी.
मर्यादा पुरुषोत्तम राम और माता सीता की शादी सीतामढ़ी से ही सटे नेपाल के जनकपुरधाम मे संपन्न हुई थी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता का सीतामढ़ी के इस पवित्र स्थल पर जन्म हुआ था.
मान्यता है कि जब इलाके में अकाल की छाया पड़ी थी तब मिथिला के राजा जनक ने सीतामढ़ी मे हल चलाया तो धरती के गर्भ से माता सीता ने जन्म लिया. सीतामढ़ी और पड़ोसी मुल्क नेपाल में रामायण काल से जुड़े दर्जनों पौराणिक स्थल है. शायद यह वजह है कि माता सीता को मिथिला की बेटी भी कहा जाता है.

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