12
Jun
Jun
इंगलैण्ड की राजधानी लंदन में यात्रा के दौरान एक शाम
महाराजा जयसिंह सादे कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए
निकले और वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव्य शो रूम
देखा और मोटर कार का भाव जानने के लिए अंदर चले गए।
शॉ रूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें “कंगाल भारत” का सामान्य
नागरिक समझ कर वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने
भी उन्हें बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने के
अलावा अपमान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।अपमानित
महाराजा जयसिंह वापस होटल पर आए और रोल्स रॉयस के
उसी शोरूम पर फोन लगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर के
महाराजा कुछ मोटर कार खरीदने चाहते हैं।
कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाक में औरअपने पूरे
दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तक शोरूम में उनके स्वागत में
“रेड कार्पेट” बिछ चुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स
उनके सामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समय शोरूम में
पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर, कारों की कीमत के साथ उन्हें
भारत पहुँचाने के खर्च का भुगतान कर दिया।
भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ: कारों को अलवर
नगरपालिका को दे दी और आदेश दिया कि हर कार काउपयोग
(उस समय के दौरान 8320 वर्ग कि.मी) अलवर राज्यमें
कचरा उठाने के लिए किया जाए।
विश्व की अव्वल नंबर मानी जाने वाली सुपर क्लास रोल्स रॉयस
कार नगरपालिका के लिए कचरागाड़ी के रूप में उपयोग लिए जाने
के समाचार पूरी दुनिया में फैल गया और रोल्स रॉयस की इज्जत
तार-तार हुई। युरोप-अमरीका में कोई अमीर व्यक्ति अगर ये
कहता “मेरे पास रोल्स रॉयस कार” है तो सामने
वाला पूछता “कौनसी?” वही जो भारत में कचरा उठाने के काम
आती है! वही?
बदनामी के कारण और कारों की बिक्री में एकदम कमी आने से
रोल्स रॉयस कम्पनी के मालिकों को बहुत नुकसान होने लगा।
महाराज जयसिंह को उन्होने क्षमा मांगते हुए टेलिग्राम भेजे और
अनुरोध किया कि रोल्स रॉयस कारों से कचरा उठवाना बन्द
करवावें। माफी पत्र लिखने के साथ ही छ: और मोटर कार
बिना मूल्य देने के लिए भी तैयार हो गए।
महाराजा जयसिंह जी को जब पक्का विश्वास
हो गया कि अंग्रेजों को वाजिब बोधपाठ मिल गयाहै
तो महाराजा ने उन कारों से कचरा उठवाना बन्द करवाया
महाराजा जयसिंह सादे कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए
निकले और वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव्य शो रूम
देखा और मोटर कार का भाव जानने के लिए अंदर चले गए।
शॉ रूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें “कंगाल भारत” का सामान्य
नागरिक समझ कर वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने
भी उन्हें बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने के
अलावा अपमान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।अपमानित
महाराजा जयसिंह वापस होटल पर आए और रोल्स रॉयस के
उसी शोरूम पर फोन लगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर के
महाराजा कुछ मोटर कार खरीदने चाहते हैं।
कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाक में औरअपने पूरे
दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तक शोरूम में उनके स्वागत में
“रेड कार्पेट” बिछ चुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स
उनके सामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समय शोरूम में
पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर, कारों की कीमत के साथ उन्हें
भारत पहुँचाने के खर्च का भुगतान कर दिया।
भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ: कारों को अलवर
नगरपालिका को दे दी और आदेश दिया कि हर कार काउपयोग
(उस समय के दौरान 8320 वर्ग कि.मी) अलवर राज्यमें
कचरा उठाने के लिए किया जाए।
विश्व की अव्वल नंबर मानी जाने वाली सुपर क्लास रोल्स रॉयस
कार नगरपालिका के लिए कचरागाड़ी के रूप में उपयोग लिए जाने
के समाचार पूरी दुनिया में फैल गया और रोल्स रॉयस की इज्जत
तार-तार हुई। युरोप-अमरीका में कोई अमीर व्यक्ति अगर ये
कहता “मेरे पास रोल्स रॉयस कार” है तो सामने
वाला पूछता “कौनसी?” वही जो भारत में कचरा उठाने के काम
आती है! वही?
बदनामी के कारण और कारों की बिक्री में एकदम कमी आने से
रोल्स रॉयस कम्पनी के मालिकों को बहुत नुकसान होने लगा।
महाराज जयसिंह को उन्होने क्षमा मांगते हुए टेलिग्राम भेजे और
अनुरोध किया कि रोल्स रॉयस कारों से कचरा उठवाना बन्द
करवावें। माफी पत्र लिखने के साथ ही छ: और मोटर कार
बिना मूल्य देने के लिए भी तैयार हो गए।
महाराजा जयसिंह जी को जब पक्का विश्वास
हो गया कि अंग्रेजों को वाजिब बोधपाठ मिल गयाहै
तो महाराजा ने उन कारों से कचरा उठवाना बन्द करवाया
13 June 2015 at 04:26
hahahahha मजा आ गया