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एक बार चार युवक देर रात तक "बार" में मस्ती करते रहे और नशे में चूर होकर घर लौटे । अगले दिन उनकी एक महत्वपूर्ण परीक्षा थी । रात की मस्ती के कारण उन्हें अगली सुबह उठने में देर हो गई । उन्होंने सोचा कि परीक्षा में देर से पहुँचे तो प्रिन्सिपल डाँटेंगे और यदि अनुपस्थित रहे तो फ़ेल तो होना ही है, चारों ने एक तरकीब सोची..और अपने-अपने कपडे़ गन्दे कर लिये । कपडों पर मिट्टी और ऑईल रगड़ लिया, फ़िर चारों कॉलेज पहुँचे । उनकी पेशी प्राचार्य के सामने हुई, कारण पूछने पर उन्होंने बताया - सर... बहुत मुश्किल हो गई थी हम चारों साथ-साथ ही एक कार में परीक्षा देने निकले थे, लेकिन रास्ते में कार का टायर पंचर हो गया और कोई मदद नहीं मिली, इसलिये हमें आने में देर हो गई, देखिये सर हमारे कपडे अभी भी कितने गन्दे हो रहे हैं, इसलिये हम प्रार्थना करते हैं कि कृपया हमें फ़ेल ना किया जाये, बल्कि और किसी दिन हमारी परीक्षा ले ली जाये, हम उसके लिये तैयार हैं । प्राचार्य ने कहा - ठीक है तुम चारों परसों आ जाओ, तुम्हारी परीक्षा उस दिन ले लेते हैं । चारों युवक अपनी इस सफ़लता पर बहुत खुश हुए, उन्होंने सोचा कि चलो बच गये अब परसों तो परीक्षा दे ही देंगे, खूब बेवकूफ़ बनाया प्रिन्सिपल को... मजा आ गया । नियत दिन पर जब वे कॉलेज पहुँचे तो प्राचार्य ने कहा कि - तुम लोगों का मामला थोडा अलग है इसलिये तुम चारों अलग-अलग कमरों में बैठकर परीक्षा दोगे । युवक राजी हो गये । परीक्षा हुई, रिजल्ट आया और चारों युवक फ़ेल हो गये । दरअसल परीक्षा में सौ अंकों का सिर्फ़ एक सवाल पूछा गया था - कार का कौन सा टायर पंक्चर हुआ था ? इसलिये बूढों को कमतर नहीं आँकना चाहिये ...

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